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दिल्‍ली का दंगल : महिलाओं का वोट किसके साथ तो किसे मिलेगी चोट? आंकड़ों से समझिए

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Last updated: 2025/01/03 at 4:44 PM
news-admin 4 months ago
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दिल्‍ली का दंगल : महिलाओं का वोट किसके साथ तो किसे मिलेगी चोट? आंकड़ों से समझिए
दिल्‍ली का दंगल : महिलाओं का वोट किसके साथ तो किसे मिलेगी चोट? आंकड़ों से समझिए
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दिल्‍ली का दंगल : महिलाओं का वोट किसके साथ तो किसे मिलेगी चोट? आंकड़ों से समझिए

Delhi Women Voter: दिल्‍ली में 1993 में पहली बार विधानसभा चुनाव हुआ. इसके बाद से हर चुनाव में महिलाओं की भागीदारी बढ़ती गई. ऐसे में बहुत हद तक महिलाओं का वोट तय करेगा कि दिल्‍ली की सत्ता पर कौन काबिज होगा?

दिल्‍ली का दंगल : महिलाओं का वोट किसके साथ तो किसे मिलेगी चोट? आंकड़ों से समझिए

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दिल्‍ली का दंगल : महिलाओं का वोट किसके साथ तो किसे मिलेगी चोट? आंकड़ों से समझिएDelhi Women Voter: दिल्‍ली में 1993 में पहली बार विधानसभा चुनाव हुआ. इसके बाद से हर चुनाव में महिलाओं की भागीदारी बढ़ती गई. ऐसे में बहुत हद तक महिलाओं का वोट तय करेगा कि दिल्‍ली की सत्ता पर कौन काबिज होगा?हर चुनाव में बढ़ती गई महिलाओं की भागीदारीAAP की ओर रहा है महिला वोटर का रुझानमहिलाओं के लिए पार्टियों की लुभावनी योजनाएंAAP के 70 उम्‍मीदवारों में से सिर्फ 10 महिलाएंक्‍या कहती है आम आदमी पार्टी?भाजपा ने लगाई आरोपों की झड़ीगरीब तबका खुश, मध्‍यम वर्ग नाराज : चौधरी 
नई दिल्‍ली:

देश के बदलते सियासी माहौल में महिलाएं अब सिर्फ वोटिंग ही नहीं कर रही हैं, बल्कि सत्ता बनाने और बिगाड़ने में रोल भी अदा कर रही हैं. कई जगह ना सिर्फ वो पुरुषों से ज्यादा मतदान कर रही हैं बल्कि एक निर्णायक फैक्टर भी बनकर उभरी हैं. हाल ही में झारखंड और महाराष्ट्र चुनाव में कुछ ऐसा ही देखने को मिला है. यही वजह है कि दिल्ली विधानसभा चुनाव (Delhi Assembly Elections 2025) में सभी पार्टियां महिलाओं पर दांव लगा रही हैं.

हर चुनाव में बढ़ती गई महिलाओं की भागीदारी

दिल्ली में 1993 में पहली बार पूर्ण विधानसभा का चुनाव हुआ था, उस वक्‍त 64.6% पुरुषों ने और 58.3% महिलाओं ने मतदान किया था, तब पुरुषों के मुकाबले महिलाओं का वोट 6.3 फीसदी कम था. चुनाव दर चुनाव महिलाओं की भागीदारी बढ़ती गई और 2020 के चुनाव में जहां पुरुषों का मतदान 62.6% था वहीं 62.5% महिलाओं ने वोट डाला. दोनों का अंतर घटकर सिर्फ 0.1 रह गया.

दिल्‍ली का दंगल : महिलाओं का वोट किसके साथ तो किसे मिलेगी चोट? आंकड़ों से समझिए

AAP की ओर रहा है महिला वोटर का रुझान

2013 तक दिल्ली में बीजेपी और कांग्रेस की सीधी लड़ाई चलती रही लेकिन आम आदमी पार्टी की एंट्री से सियासत पूरी तरह बदल गई. महिलाओं का रुझान धीरे-धीरे आम आदमी पार्टी की ओर बढ़ता गया. 2020 के चुनाव में AAP को 49 फीसदी पुरुषों ने वोट किया जो 2015 के मुकाबले 6 फीसदी कम था, जबकि AAP के खाते में महिलाओं का वोट 7 फीसदी बढ़कर 60 फीसदी पर पहुंच गया. वहीं 2015 के मुकाबले बीजेपी को मिले पुरुषों के वोट में 11% की बढ़ोतरी हुई और ये 43% पर पहुंच गया. जबकि महिलाओं का 35 फीसदी वोट मिला जो 2015 से 1% ही ज्यादा है.

कांग्रेस को पुरुषों का 5% वोट मिला जो 2015 से 4 फीसदी कम है. महिलाएं कांग्रेस से और दूर चली गईं. 2020 में सिर्फ 3% वोट मिला जो 2015 के मुकाबले 7 फीसदी कम है.

महिलाओं के लिए पार्टियों की लुभावनी योजनाएं

आम आदमी पार्टी जानती हैं कि उसकी जीत के लिए महिला वोटर्स का साथ होना बहुत जरूरी है. इसलिए इस बार उसने एक बड़ा दांव चला है. यह बड़ा दांव है, मुख्यमंत्री महिला सम्मान योजना. इससे पहले भी महिलाओं को लुभावने वाली कई योजनाएं लागू कर चुकी है. इनमें मुफ्त बस सेवा, मुफ्त बिजली-पानी और सरकारी स्कूलों में मुफ्त ड्रेस-किताब शामिल हैं.

ऐसे में माना जा रहा है कि बाकी दोनों पार्टियां भी महिलाओं को लुभाने में पीछे नहीं रहेंगी. माना जा रहा है कि भाजपा लडली योजना जैसी योजना का ऐलान कर सकती है. कांग्रेस भी महिलाओं से 3000 रुपये महीने का वादा कर सकती है.

हालांकि महिलाओं का बंपर वोट पाने वाली आम आदमी पार्टी महिलाओं को टिकट देने में कंजूसी दिखाई है.

AAP के 70 उम्‍मीदवारों में से सिर्फ 10 महिलाएं

आम आदमी पार्टी के घोषित सभी 70 उम्मीदवारों में सिर्फ 10 ही महिलाएं हैं. वहीं कांग्रेस ने अब तक 48 उम्मीदवारों का एलान किया है जिनमें 4 ही महिलाएं हैं.

जबकि आप और कांग्रेस दोनों ही महिलाओं के लिए 33 प्रतिशत आरक्षण की बात करती हैं.

क्‍या कहती है आम आदमी पार्टी?

आम आदमी पार्टी की प्रवक्‍ता शैली ओबेरॉय ने कहा कि दिल्‍ली के ज्‍यादातर लोग आम आदमी पार्टी के साथ हैं.  पिछले दस सालों में आम आदमी पार्टी ने बहुमत के साथ तीन बार सरकार बनाई है. उन्‍होंने आम आदमी पार्टी के महिलाओं के लिए काम करने का दावा किया और आम आदमी पार्टी की उपलब्धियां गिनाईं. उन्‍होंने कहा कि अरविंद केजरीवाल ने महिलाओं के लिए पहली बार काम नहीं किया है. अगर मैं बात करूं महिलाओं को सशक्‍त करने के लिए तो अगर पूरे देश में कोई पार्टी है तो वो सिर्फ और सिर्फ आम आदमी पार्टी है.

उन्‍होंने भाजपा पर हमल बोलते हुए कहा कि भाजपा को समझ जा चुका है कि आम आदमी पार्टी और अरविंद केजरीवाल अपने वादों पर खरे उतरते हैं. इसीलिए भाजपा बौखलाई हुई है. उन्‍होंने कहा कि सभी को पता है कि दिल्‍ली पुलिस दिल्‍ली सरकार के पास नहीं होती है. दिल्‍ली में कानून व्‍यवस्‍था पूरी तरह से चरमरा चुकी है. आज भी कोई क्राइम होता है तो दिल्‍ली सरकार के लगाए सीसीटीवी कैमरों की ही फुटेज निकाली जाती है. उन्‍होंने कहा कि फर्जी मामलों में आम आदमी पार्टी के नेताओं को जेल में डाल दिया गया, जिस प्रकार से दिल्‍ली के जो थोडे बहुत हाल खराब हुए हैं तो उसके लिए भाजपा है. साथ ही आरोप लगाया कि भाजपा हिंदुत्‍व के गाने गाती है, वहीं दिल्‍ली में मंदिर को तुड़वाने के लिए ऑर्डर पास करती हैं.

भाजपा ने लगाई आरोपों की झड़ी

इसके साथ ही भाजपा प्रवक्‍ता शाजिया इल्‍मी ने कहा कि दिल्‍ली का बुरा हाल है. उन्‍होंने कहा कि मैं भाजपा में हूं और आप की संस्‍थापक सदस्‍य रही हूं, लेकिन इसके बावजूद कहूंगी कि शीला दीक्षित का बेहतरीन काम था और आज के दौर में कम से कम इस बात को कहना पड़ेगा क्‍योंकि 10 साल के बाद दिल्‍ली की बुरी हालत है. उन्‍होंने दिल्‍ली की आर्थिक सेहत को लेकर सवाल उठाया और कहा कि 31 सालों में जो राजस्‍व प्राप्तियां थीं, वो कम हुई हैं और खर्चा बढ़ा है. पहली बार दिल्‍लीव‍ासियों को घाटे का अहसास हो रहा है. ऐसा पहले कभी नहीं हुआ था. उन्‍होंने आरोप लगाया कि दिल्‍ली विधानसभा की स्‍थापना से अब तक का सबसे खराब राजस्‍व रिकॉर्ड और गवर्नेंस देखने को मिला है.

उन्‍होंने कहा कि कहते हैं कि एलजी साहब हमें काम नहीं करने दे रहे हैं, हम काम नहीं कर पा रहे हैं और दूसरी ओर कहते हैं कि हमने सबसे शानदार काम किया है. उन्‍होंने सवाल किय कि एलजी आपको काम नहीं करने दे रहे हैं तो आपने काम कैसे किया है.

साथ ही आम आदमी पार्टी पर आरोप लगाते हुए कहा कि इनके 15 विधायक, आठ मंत्री और एक सांसद जेल की हवा खा चुके हैं, जिनमें पंजाब के भी मंत्री शामिल हैं तो आप सोचिये वो किस तरह की सरकार होगी.

साथ ही उन्‍होंने मुख्‍यमंत्री रहते अरविंद केजरीवाल के घर के रेनोवेशन पर सवाल उठाया. उन्‍होंने कहा कि कोरोना के दौरान सादगी और वैकल्पिक राजनीति की बात करने वाले मुख्‍यमंत्री गोल्‍ड प्‍लेटेड कमोड और एक करोड़ के पर्दे खरीद रहे थे. उन्‍होंने कहा कि इससे बड़ी विपदा क्‍या थी, थोड़ी तो शर्म होती. आप का नाम सही है आपदा पार्टी.

गरीब तबका खुश, मध्‍यम वर्ग नाराज : चौधरी 

वहीं वरिष्‍ठ पत्रकार नीरजा चौधरी ने कहा कि 2015 और 2020 में आम आदमी पार्टी की ओर महिलाओं का रुझान था, नहीं तो इतनी सीटें नहीं मिलतीं. उन्‍होंने कहा कि इस बार विभाजन गरीब और मध्‍यम वर्ग के बीच में है. मध्‍यम वर्ग अनमना है, आम आदमी पार्टी और अरविंद केजरीवाल से इतना खुश नहीं है. लेकिन जो गरीब तबका है, जो झुग्गियों में है, उन्‍हें यकीन है कि उन्‍होंने हमारे लिए बहुत कुछ किया है.

उन्‍होंने कहा कि इस बार के विधानसभा चुनाव में शायद महिला वोटर भी बंटे. हालांकि महिला वोटर बहुत ही महत्‍वपूर्ण राजनीतिक करेंसी के रूप में देशभर में उभरी हैं. उन्‍होंने कहा कि मुझे लगता है कि दिल्‍ली चुनाव के परिणाम को हमें बहुत ही बारीकी से देखना होगा कि महिला का रुझान क्‍या होता है. साथ ही उन्‍होंने कहा कि आज का वोटर यह जानना चाहता है कि मेरे हाथ में क्‍या आने वाला है.

दिल्‍ली का दंगल : महिलाओं का वोट किसके साथ तो किसे मिलेगी चोट? आंकड़ों से समझिए
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