पापा, ये मेरा लास्ट कॉल है… 15 फरवरी को फांसी से ठीक पहले शहजादी का फोन और बिलख पड़े थे मां-बाप
अबू धाबी से शहजादी ने यूपी में रह रहे मां-बाप को फोन किया. फोन कॉल सुनेंगे तो अंदर तक हिल जाएंगे. यह शहजादी का आखिरी कॉल था. फांसी से पहले उसकी आखिरी इच्छा के तौर पर यह कॉल करवाया गया था. इस फोन के बाद 15 फरवरी को शहजादी को फांसी दे दी गई थी…
पापा सलाम वालेकुम, इसके बाद रोने की आवाजें…घबराए हुए पापा पूछते हैं कि बेटा बता क्या बात है. बार-बार पूछने पर दुबई की अबू धाबी जेल में बंद शहजादी कहती है ये हमारा लास्ट कॉल है. अम्मी के भी रोने की आवाज पीछे से आ रही है, अल्लाह मदद कर… मेरी बेटी को बचा ले… यूपी के बांदा की शहजादी का ये फोन 10 मिनट की बातचीत के बाद खुद ही बंद हो जाता है. 15 फरवरी को यूपी की शहजादी का यह आखिरी कॉल था. मां-बाप को आस थी कि कुछ चमत्कार हो जाएगा. बेटी का फिर फोन आएगा. लेकिन उम्मीद की यह किरण अब हमेशा के लिए बुझ गई है. शहजादी को इस आखिरी कॉल के कुछ ही समय बाद 15 फरवरी को ही फांसी दे दी गई थी. फांसी दिए जाने के 16 दिन बाद अब 3 मार्च को यूएई की सरकार ने इसकी जानकारी दी है.
इस आखिरी कॉल के बाद शहजादी के मां-बाप का बुरा हाल था. दरअसल उनको इसकी भनक लग गई थी कि फांसी का वक्त मुकर्रर हो चुका था. इसकी आधिकारिक जानकारी नहीं दी गई थी, लेकिन बेटी ने पिता को बता दिया था. मौत से पहले आखिरी इच्छा पूरी करने के लिए अबू धाबी जेल प्रशासन ने शहजादी की आखिरी बार फोन पर उसके मां-बाप से बात करवाई. शहजादी ने कुल मिलाकर फोन पर अपने घरवालों को दिलासा देते हुए यही कहा कि ये उसका आखिरी कॉल है और उसे इस हालात तक पहुंचाने वालों के खिलाफ, जो केस दर्ज करवाया है, उसे वापस ले लो.
आखिरी कॉल के बाद शहजादी के माता-पिता का रो-रोकर बुरा हाल
आखिरी कॉल- ‘बेटा माफ कर दो हम कुछ नहीं कर पाए’
- पापा सलाम वालेकुम कहने के बाद शहजादी रोने लगी.
- पापा बार-बार पूछते रहे बेटा बता क्या बात है.
- इसके बाद शहजादी ने कहा कि पापा हमारा टाइम खत्म हो गया है बस.
- पिता का गला भर आया- बेटा ऐसा नहीं होगा. ले तू अम्मी से बात कर
- मां ने कहा- अल्लाह ताला से दुआ कर रहे हैं बेटा, कुछ नहीं होगा, फिक्र मत कर कुछ नहीं होगा.
- इसके बाद मां पूछती है कि बेटा वो लोग कुछ कह रहे हैं क्या?
- शहजादी जवाब देती है- टाइम नहीं है, सब खत्म हो गया. पता नहीं दोबारा फोन कर पाएंगे या नहीं. आप लोग अच्छे से रहना. किसी से दुश्मनी मोल नहीं लेना. वकील को बोलना एफआईआर भी वापस ले ले. कुछ नहीं चाहिए. बस सुकून चाहिए.
- ये सुनते ही मां-बाप जोर-जोर से रोने लगे.
- शहजादी- हम वापस नहीं आ पाएंगे. आप लोग सारी उम्र केस लड़ते रहेंगे. हमारी वजह से ये भागदौड़ मत करना. आराम से रहना. सालों केस लड़ते रहेंगे, क्या हम वापस मिल जाएंगे.
- मां-बाप रोते हुए बोलते रहे कि हमें माफ कर दो हम तुम्हारे लिए कुछ नहीं कर पाए. अल्लाह हमारी बच्ची को मुसीबत से बचा ले.
- शहजादी – कितने एक्सीडेंट हुए हमारे साथ, समझ लेना एक और हो गया. इस पर मां-पिता बिलख कर रोने लगते हैं… नहीं बेटा हम तेरे को नहीं भूल पाएंगे. अल्लाह हमें भीख दे दे हमारी बच्ची को बचा ले.
- शहजादी- हमें किसी से शिकवा नहीं. बेटा हम तुझे देखना चाहते हैं. वीडियो कॉल कर ले… नहीं पापा वीडियो कॉल नहीं कर सकते. मां कर दे बेटा. अल्लाह फैसला करने वाला है. वही सबकुछ बदल सकता है. वही बचा सकता है. मां रोते हुए कहती है.
- पिता- अल्लाह बचा ले. मेरी बेटी बहुत बहादुर है. शहजादी आगे कहती कि किसी की कोई गलती नहीं.
- पिता- बेटा फिर फोन कर लेना…
- शहजादी कहती है फोन कट जाएगा.
- पिता शब्बीर खान- बेटा परेशान न हो..
- शहजादी- पापा मैं परेशान नहीं हूं.
- मां नाज़रा- बेटा हमको माफ कर दे, हम कुछ नहीं कर पाए तुम्हारे लिए…

(शहजादी के पिता शब्बीर खान)
पिता ने मीडिया को रोते हुए कही थी ये बात
पिता ने बताया था कि शहजादी ने फोन पर बताया है कि फांसी से पहले मुझे अलग कमरे में कर दिया है. घर में भी दोबारा फोन करने नहीं देंगे. वह हमें समझाती रही कि केस वापस ले लेना. वो रोती रही. ये कैसा इंसाफ है, हम वहां जा नहीं सकते. केस का न कोई कागज है, हमें कुछ पता नहीं. बेटी ने कहा कि पापा ये लास्ट कॉल है. उसे फांसी दे दी जाएगी. मेरी बेटी बेकसूर है. वह 2 साल से जेल में बंद है. हम मदद मांगने दिल्ली गए, विदेशमंत्रालय भी गए, सब नेताओं से मिले, मेरी बेटी को कोई मदद नहीं मिली. न यूपी सरकार से न दिल्ली सरकार से. हमारी कोई औकात नहीं वहां जाने की, हमारी मदद कीजिए.
मेरी बेटी पर जिस बच्चे की हत्या का आरोप, उसका पोस्टमॉर्टम नहीं हुआ- पिता
पिता ने आरोप लगाया था कि वह जिस परिवार में काम कर रही थी, वहां 4 महीने के बच्चे को उसकी मां टीका लगवाने गई थी. टीके के बाद बच्चे की हालत बिगड़ गई और बच्चे की मौत हई. बिना पोस्टमॉर्टम के बच्चे को दफना दिया गया. इसके बाद मेरी बेटी का फोन छीन लिया गया और उसे प्रताड़ित किया गया. पुलिस चौकी में मेरी बेटी पर दबाव देकर धोखे से साइन करवाए गए कि बच्चे को उसने मारा है. जिनके घर वो काम करती थी, उसका नाम नाजिया है और उसके पति का नाम फैज है.

(बाएं उजैर, दाएं शहजादी)
शहजादी को दुबई भेजने में था आगरा के उजैर का हाथ
2021 में बांदा के मटौंध थाना क्षेत्र के गांव गोयरा मुगली की रहने वाली शहजादी को अबू धाबी भेजा गया था. बताया जा रहा है इसमें पूरा हाथ आगरा के निवासी उजैर का था, जिसने शहजादी को लग्जरी लाइफ और चेहरे के इलाज का लालच देकर आगरा के ही रहने वाले एक दंपति को बेच दिया. इस पर बांदा सीजेएम कोर्ट के आदेश के बाद आगरा के दंपति और आरोपी उजैर के खिलाफ मानव तस्करी का केस भी दर्ज हो चुका है.
शहजादी पर बच्चे की हत्या का आरोप
दुबई में जिनके घर शहजादी काम करती थी, उनके बच्चे की मौत हो गई, जिसका आरोप दंपति ने शहजादी पर लगाया. अबू धाबी की कोर्ट ने जांच के बाद शहजादी को अरेस्ट कर उसे सजा-ए-मौत की सजा सुनाई है. शहजादी के पिता शब्बीर खान ने जिला प्रशासन और सरकार से बेटी को बचाने की फरियाद की है.
शहजादी के साथ बचपन में हुआ था ये बड़ा हादसा
गौरतलब है कि पीड़िता शहजादी जब छोटी थी, तभी किचन में काम करते समय वह आग से बुरी तरह से झुलस गई थी. उसके चेहरे पर निशान हो गए थे, इससे वह बहुत परेशान रहती थी. शहजादी सामाजिक संस्था रोटी बैंक में काम करती थी. 2020 में सोशल मीडिया जरिए उसकी जान पहचान आगरा में रहने वाले उजैर नाम के व्यक्ति से हुई थी. उजैर से करीबी और विश्वास बढ़ता गया और 2021 में उजैर ने शहजादी के चेहरे का इलाज करने का बहाना बनाकर उसको अपने साथ आगरा ले गया था. इलाज करवाने के नाम पर उसने दुबई में रहने वाले नाजिया और फैज के हाथों शहजादी का सौदा कर दिया. शहजादी को वहां घरेलू नौकरी की तरह काम करना पड़ता था. फैज और उसकी पत्नी पर शहजादी ने प्रताड़ित करने के आरोप भी लगाए हैं.